बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-3 प्रश्नपत्र-2 - निर्देशन एवं परामर्श बी.एड. सेमेस्टर-3 प्रश्नपत्र-2 - निर्देशन एवं परामर्शसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-3 प्रश्नपत्र-2 - निर्देशन एवं परामर्श
प्रश्न- बुद्धि के मापन से आप क्या समझते हैं? बुद्धि परीक्षणों के प्रकार का वर्जन करते हुए बुद्धिलब्धि को कैसे ज्ञात किया जाता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -
बुद्धि का मापन
बुद्धि मापन का कार्य विभिन्न रूपों में हर काल में होता आया है। प्राचीन भारत में बालक के ज्ञान की विभिन्न दृष्टिकोणों से उसकी परीक्षा लेकर बुद्धि को मापा जाता था। शारीरिक संरचना के आधार पर लैवेटर तथा गाल आदि मनोवैज्ञानिकों ने बुद्धि का मापन करने की कोशिश की। परन्तु आधुनिक विधि से बुद्धि मापन का इतिहास सन् 1875 से आरम्भ होता है जब कैटेल तथा गाल्टन जैसे प्रमुख विद्वानों ने व्यक्तिगत विभिन्नताओं को मान्यता दी। वुण्ट नामक मनोवैज्ञानिक ने सन् 1879 में विश्व की सर्वप्रथम मनोवैज्ञानिक प्रयोगशाला स्थापित की, जिसकी प्रेरणा से पीयरसन तथा एनिगहास, आदि मनोवैज्ञानिकों ने बुद्धि परीक्षण का कार्य शुरू किया। इसके पश्चात् सन् 1905 में बिने ने सर्वप्रथम बुद्धि परीक्षण का निर्माण किया। इनके परीक्षण में 30 प्रश्न थे तथा इस परीक्षण की सहायता से उसे 16 वर्ष तक के बच्चों की बुद्धि का मापन किया जा सकता था। बिने के इस परीक्षण का संशोधन क्रमशः सन् 1908, 1911 में हुआ। इसके पश्चात् सन् 1916 में इस परीक्षण का संशोधन किया।
बुद्धि परीक्षणों के प्रकार
वर्तमान समय में उपलब्ध बुद्धि परीक्षणों को निम्नलिखित भागों में बाँटा जा सकता है-
(1) (a) व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण (b) सामूहिक बुद्धि परीक्षण
(2) (a) शक्ति परीक्षण (b) गति परीक्षण
(3) (a) शाब्दिक बुद्धि परीक्षण (b) क्रियात्मक या निष्पादन बुद्धि परीक्षण
(1) (i) व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण - व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण वे परीक्षण हैं जो एक समय में केवल एक ही छात्र की बुद्धि का मापन करते हैं। इस प्रकार के परीक्षणों में एक-एक बालक को बुलाकर उसकी बुद्धि का परीक्षण किया जाता है। कुछ प्रमुख व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण निम्नलिखित हैं-
(a) बिने-स्टेनफोर्ड परीक्षण,
(b) मिनेसोटा पूर्व विद्यालय परीक्षण
(c) कोज ब्लाक डिजाइन परीक्षण,
(d) बर्ट के तर्क शक्ति परीक्षण
(e) मैरिल पामर मानसिक परीक्षण आदि।
(ii) सामूहिक बुद्धि परीक्षण - इस प्रकार के बुद्धि परीक्षणों का जन्म प्रथम विश्व युद्ध के समय हुआ। जैसा कि इन परीक्षणों के नाम से स्पष्ट है कि इन परीक्षणों के द्वारा एक समय में एक साथ एक से अधिक व्यक्तियों या व्यक्थियों के समूह की बुद्धि का मापन किया जा सकता है। सेना, अनुसन्धान, विद्यालय तथा उद्योगों में सामूहिक परीक्षा लेने के लिए ये परीक्षण अत्यन्त उपयोगी हैं। ये परीक्षण मुख्य रूप से शाब्दिक होते हैं। अतः इन परीक्षणों को भरने के लिए व्यक्ति को भाषा का ज्ञान होना आवश्यक है। कुछ प्रमुख सामूहिक बुद्धि परीक्षण निम्नलिखित हैं-
(a) आर्मी अल्फा परीक्षण,
(b) आर्मी बीटा परीक्षण,
(c) आर्मी जनरल क्लासीफिकेशन टेस्ट,
(d) जलोटा का सामान्य मानसिक योग्यता परीक्षण
(e) डॉ. प्रयाग मेहता का बुद्धि परीक्षण।
(2) (i) शक्ति परीक्षण - इस प्रकार के बुद्धि परीक्षणों के द्वारा किसी व्यक्ति की एक विशेष क्षेत्र से सम्बन्धित ज्ञान शक्ति की परीक्षा ली जाती है। इस प्रकार के परीक्षणों में जो प्रश्न दिए जाते हैं, उन प्रश्नों का कठिनाई स्तर क्रमशः धीरे-धीरे बढ़ता जाता है। इस प्रकार के परीक्षणों का प्रथम प्रश्न सबसे अधिक सरल तथा अन्तिम प्रश्म सबसे कठिन होता है। इस प्रकार के परीक्षणों में निश्चित समय को अधिक महत्त्व नहीं दिया जाता है।
(ii) गति परीक्षण - इस प्रकार के परीक्षणों में प्रश्नों का कठिनाई स्तर एक जैसा होता है, परन्तु परीक्षण के सभी प्रश्न एक निर्धारित समय में करने पड़ते हैं। निश्चित समय में वह जितने प्रश्नों का उत्तर दे पाता है, उन्हीं के आधार पर उसकी बुद्धि का मापन होता है। अतः इस प्रकार के परीक्षण व्यक्ति की मानसिक गति का मापन करते हैं।
(3) (i) शाब्दिक बुद्धि परीक्षण- इस प्रकार के परीक्षणों को हल करने के लिए शाब्दिक या भाषा ज्ञान आवश्यक है। शाब्दिक बुद्धि परीक्षण व्यक्तिगत और सामूहिक दोनों प्रकार के हो सकते हैं। शाब्दिक बुद्धि परीक्षण के द्वारा व्यक्ति की बुद्धि का मापन शाब्दिक प्रश्नों के द्वारा मौलिक अथवा लिखित रूप में प्रत्युत्तर प्राप्त कर किया जाता है। ऐसे परीक्षणों का उपयोग केवल उन्हीं व्यक्तियों पर किया जा सकता है जो परीक्षण की भाषा को जानते हैं।
कुछ प्रमुख शाब्दिक बुद्धि परीक्षण निम्नलिखित हैं-
(a) आर्मी अल्पा परीक्षण,
(b) आर्मी बीटा परीक्षण
(c) डॉ. जलोटा का बुद्धि परीक्षण,
(d) डॉ. सोहन लाल का बुद्धि परीक्षण,
(e) डॉ. प्रयाग मेहता का बुद्धि परीक्षण।
(ii) क्रियात्मक या निष्पादन बुद्धि परीक्षण - इस प्रकार के परीक्षणों के अन्तर्गत परीक्षार्थी को कुछ कार्य करके समस्या का समाधान करना पड़ता है, जैसे दिए हुए चित्रों को क्रम में सजाना, दिए हुए टुकड़ों से कोई आकृति बनाना, चित्रों की पूर्ति करना, कोई वर्ग निर्माण करना आदि। इन परीक्षणों की सहायता से अशिक्षित, गूँगे और अन्धे लोगों की बुद्धि का मापन किया जाता है।
बुद्धि लब्धि का मापन
सर्वप्रथम स्टर्न नामक मनोवैज्ञानिक ने 1912 में मानसिक - लब्धि शब्द का प्रयोग किया। टर्मन ने सन् 1916 में सर्वप्रथम बुद्धि के फलांकन की विधि यह बताई कि बुद्धि का फलांकन बुद्धि-लब्धि (IQ) की गणना के द्वारा करना चाहिए। (i) IQ का मापन मानसिक आयु में शारीरिक आयु से भाग देने तथा प्राप्त संख्या में 100 से गुणा करके जो मान प्राप्त होता है, उसे बुद्धि-लब्धि अर्थात् I. Q. कहा जाता है। बुद्धि-लब्धि (IQ) को निकालने का सूत्र इस प्रकार है-
बुद्धि-लब्धि = मानसिक आयु / शारीरिक आयु x 100
उदाहरण के लिए, यदि एक बालक की मानसिक आयु 12 वर्ष और शारीरिक आयु 10 वर्ष है तो उसकी बुद्धि-लब्धि का मापन निम्न प्रकार से करेंगे-
बुद्धि-लब्धि = 120/10 x 100 = 120
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- प्रश्न- निर्देशन का क्या अर्थ है? निर्देशन की प्रमुख विशेषताओं तथा क्षेत्र पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निर्देशन के महत्वपूर्ण उद्देश्य कौन-कौन से हैं? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन के मूल सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन की आवश्यकता से आप क्या समझते हैं? शैक्षिक एवं सामाजिक दृष्टिकोण से निर्देशन की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- "व्यावसायिक निर्देशन शैक्षिक निर्देशन पर प्रभुत्व रखता है।" स्पष्ट कीजिये एवं इस कथन का औचित्य बताइये।
- प्रश्न- निर्देशन के प्रमुख सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन की आधुनिक प्रवृत्तियाँ क्या हैं?
- प्रश्न- निर्देशन की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन के विषय क्षेत्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- निर्देशन तथा शिक्षा में कौन-कौन से मुख्य अन्तर हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन के कार्य क्या हैं?
- प्रश्न- निर्देशन की प्रकृति का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारत में निदर्शन की समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- "समृद्ध भारत के लिये निर्देशन सेवाओं की अत्यधिक आवश्यकता है।" विभिन्न परिप्रेक्ष्य में इस कथन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श के मध्य सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन से आप क्या समझते हैं? शैक्षिक निर्देशन की आवश्यकता की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन के मुख्य उद्देश्यों तथा शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर शैक्षिक निर्देशन के कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर शैक्षिक निर्देशन के स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तिगत निर्देशन किसे कहते हैं? व्यक्तिगत निर्देशन के स्वरूप एवं महत्त्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर व्यक्तिगत निर्देशन के उद्देश्यों या कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- व्यावसायिक निर्देशन से आप क्या समझते हैं? इसके महत्त्व और आवश्यकता को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- छात्रों के व्यावसायिक निर्देशन में विद्यालय क्या भूमिका निभा सकता है?
- प्रश्न- "व्यक्तिगत निर्देशन, निर्देशन का मूलाधार है।" इस कथन की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन के प्रमुख सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक और व्यावसायिक निर्देशन में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- व्यावसायिक निर्देशन की शिक्षा के क्षेत्र में क्यों आवश्यकता है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तिगत निर्देशन किसे कहते हैं? इसके मुख्य उद्देश्य बताइए।
- प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन के सिद्धान्त क्या है स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन से आप क्या समझते हैं? इसकी उपयोगिता का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सूचना सेवा से आप क्या समझते हैं? सूचना सेवाओं के उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सूचना सेवा की कार्य विधि का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नियोजन सेवा से आप क्या समझते हैं? विद्यालय के नियोजन सम्बन्धी कार्यों एवं उत्तरदायित्वों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निर्देशन सेवाओं में कौन-कौन से कर्मचारी भाग लेते हैं? प्रधानाचार्य एवं अध्यापक की निर्देशन सम्बन्धी भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श में अभिभावक एवं वार्डेन की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- निर्देशन सेवा में विद्यालय स्तर पर कार्यरत प्रमुख व्यक्तियों की भूमिका का विस्तारपूर्वक उल्लेख कीजिए।
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- प्रश्न- छात्र सूचना या वैयक्तिक अनुसूची सेवा से आपका क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सूचना सेवा की आवश्यक सामग्री का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- नियोजन सेवा के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परामर्श सेवा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सूचना सेवा कितने प्रकार की होती है? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- व्यावसायिक निर्देशन में आवश्यक सूचनाओं को बताइए।
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- प्रश्न- समन्वित परामर्श मुख्य चरणों या पदों को संक्षिप्त रूप में स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशीय परामर्श के मुख्य चरण या सोपान कौन-कौन से हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- परामर्श के किसी एक उपागम का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परामर्शदाता की विशेषताओं, गुणों तथा व्यावसायिक नीतिशास्त्र का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परामर्शदाता की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- परामर्शदाता में किस प्रकार का अनुभव होना आवश्यक है, बताइये।
- प्रश्न- परामर्शदाता का प्रशिक्षण कार्यक्रम बताइये।
- प्रश्न- निर्देशन कार्यक्रम में परामर्शदाता की भूमिका क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- परामर्शदाता के व्यक्तित्व सम्बन्धी विशेषकों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- क्रो एवं क्रो के अनुसार परामर्शदाताओं के कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परामर्शार्थी और परामर्शदाता के पारस्परिक सम्बन्धों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श केन्द्रों की आवश्यकता बताइए तथा निर्देशन केन्द्रों के उद्देश्य भी बताइए।
- प्रश्न- भारत में निर्देशन एवं परामर्श की समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श केन्द्रों के कार्य बताइए।
- प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श केन्द्रों की समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि से आप क्या समझते हैं? बुद्धि के प्रकार, विशेषताएँ एवं सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि के मापन से आप क्या समझते हैं? बुद्धि परीक्षणों के प्रकार का वर्जन करते हुए बुद्धिलब्धि को कैसे ज्ञात किया जाता है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा और निर्देशन में बुद्धि परीक्षणों की उपयोगिता की विवेचना कीजिए।
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- प्रश्न- अभिवृत्ति का क्या अर्थ है? अभिवृत्ति परीक्षण का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- बुद्धि कितने प्रकार की होती है? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि की मुख्य विशेषताएँ कौन-कौन सी हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि के अर्थ तथा स्वरूप पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- रुचि का अर्थ एवं परिभाषा दीजिए।
- प्रश्न- रुचियों के मुख्य प्रकार कौन-कौन से हैं? संक्षेप में बताइये।
- प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श में रुचि सूचियों के लाभ का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रुचि-सूचियों की कमियां या दोषों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अभिवृत्ति के वर्गीकरण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अभिवृत्ति से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारतवर्ष में रुचि मापन के कार्यों पर प्रकाश डालिये।.
- प्रश्न- निर्देशन सेवाओं में कौन-कौन से कर्मचारी भाग लेते हैं? प्रधानाचार्य एवं अध्यापक की निर्देशन सम्बन्धी भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श में अभिभावक एवं वार्डेन की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विशिष्ट बालकों से क्या अभिप्राय है? उनकी क्या विशेषताएँ हैं? पिछड़े बालकों की शिक्षा एवं समायोजन के लिये निर्देशन व परामर्श का एक कार्यक्रम तैयार कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श कर्मचारी वर्ग के रूप में प्रधानाचार्य की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- विशिष्ट बालकों को निर्देशन व परामर्श देते समय क्या सावधानियाँ रखी जानी चाहिये? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चिकित्सा कर्मचारी किस प्रकार निर्देशन प्रक्रिया में योगदान देते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन प्रक्रिया में शारीरिक शिक्षक के कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन कार्यक्रम में परामर्शदाता की भूमिका क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रधानाचार्य के निर्देशन सम्बन्धी उत्तरदायित्वों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निर्देशन में शिक्षक की भूमिका क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मनोचिकित्सक की भूमिका बताइये।